जिंदल पावर प्लांट जनसुनवाई मामला : 14 साल बाद तीनों आरोपी बरी, न्यायालय ने सभी आरोप किए खारिज

रायगढ़। जिंदल पावर लिमिटेड के 2400 मेगावाट पावर प्लांट स्थापना से जुड़े 14 साल पुराने प्रकरण में अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। वर्ष 2011 में तमनार के कुंजेमुरा में हुई जनसुनवाई के दौरान हुए विवाद के इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्रतीक टेंभुरकर की अदालत ने 10 अक्टूबर को निर्णय सुनाते हुए तीनों को बरी कर दिया।

मामला 8 मई 2011 का है, जब तमनार स्थित जिंदल ग्रुप के पावर प्लांट स्थापना के लिए जनसुनवाई का आयोजन कुंजेमुरा स्कूल के सामने किया गया था। इस दौरान जिंदल पावर के सीनियर वीपी आर.एस. तंवर और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच कहासुनी हो गई। आरोप लगाया गया था कि सामाजिक कार्यकर्ता रमेश अग्रवाल, हरिहर पटेल और राजेश त्रिपाठी ने तंवर के प्रति अपमानजनक बातें कहीं और धमकी दी, जिससे उनकी मानहानि हुई।

घटना के बाद तीनों के विरुद्ध चक्रधरनगर थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराएं 294, 500, 501, 502, 504, 505 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। रमेश अग्रवाल और हरिहर पटेल को 28 मई 2011 को गिरफ्तार कर 2 महीने 13 दिन तक न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया था।

पुलिस ने जनसुनवाई स्थल से वीडियो कैसेट जब्त कर छह साक्षियों के बयान दर्ज किए, लेकिन किसी भी साक्ष्य से आरोप सिद्ध नहीं हो सका। सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा और तीनों आरोपियों — रमेश अग्रवाल, हरिहर पटेल व राजेश त्रिपाठी — को दोषमुक्त कर दिया।

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